2025-03-23विप्लव विकास
इतिहास के नाम पर हिंदू समाज से बार-बार कहा जाता है कि उसे अपने अतीत की पीड़ाओं को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए। हिंदुओं से यह अपेक्षा की जाती है कि वे सहिष्णु बने रहें, जबकि दूसरे पक्ष को अपनी मजहबी भावनाओं के प्रदर्शन की पूरी स्वतंत्रता दी जाती है। यदि भाईचारा केवल एकतरफा सहिष्णुता पर टिका रहेगा, तो यह दीर्घकालिक नहीं हो सकता।
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